RIP George Fernandes: ‘जॉर्ज द जायंट किलर’ कहा करते थे लोग

0
337
George Fernandes

पिछले कई सालों से सियासी गलियारों में उनकी (George Fernandes) चर्चा ना के बराबर हुआ करती थी। वर्तमान सियासत में जिनका वजूद खो सा गया था। लेकिन एक जमाने में वो देश की सियासत के सबसे बड़े फायरब्रांड नेता कहे जाते थे।

वो ट्रेड यूनियन के बेताज बादशाह थे। उनकी एक आवाज़ पर हजारों गरीब-गुरबा इकट्ठा हो जाया करते थे। गरीबों के हक़ के लिए खड़े होते तो सरकारें हिल जाती थी। यही वजह थी कि वो उस दौर में अनथक विद्रोही कहे गए। और वो रिबेल विद्आउट ए पॉज़ माने गए।

नहीं रहे George Fernandes

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के विश्वस्त सलाहकार, एक अनथक विद्रोही और ‘जॉर्ज द जायंट किलर’ के नाम से मशहूर पूर्व रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडीस (George Fernandes) नहीं रहे। जॉर्ज पिछले कुछ दिनों से स्वाइन फ्लू से पीड़ित थे। उन्होंने दिल्ली में अंतिम सांस ली।

कर्नाटक के मेंगलोर में जन्म लेने वाले जॉर्ज फर्नांडिस 1949 में रोजगार की तलाश में मुंबई पहुंचे थे। चंद सालों में ही वो टैक्सी यूनियन के सबसे बड़े नेता बनकर उभरे। जॉर्ज की सियासी यात्रा भारतीय लोकतंत्र में एक मुकम्मल पाठ की तरह ही है।

जॉर्ज की मां ऐलिस मार्था फर्नांडिस, किंग जॉर्ज फिफ्थ की बड़ी प्रशंसक थी। लिहाजा 3 जून 1930 को जब उनका जन्म हुआ तो बड़े प्यार से उनका नाम रखा…जॉर्ज। जबकि पिता के सरनेम की वजह से पूरा नाम हुआ जॉर्ज फर्नांडिस।

George का जीवन सफर

जीवन के 16वें पड़ाव पर जॉर्ज को पादरी बनाने के लिए उनके माता-पिता ने उन्हें (George Fernandes) क्रिश्चियन मिशनरी भेजा। लेकिन 18 की उम्र में जॉर्ज मिशनरी छोड़ रोजगार की तलाश में मुंबई पहुंच गए। वहीं से शुरू हुआ उनका सियासी करियर। साल 1950 तक जॉर्ज टैक्सी यूनियन के सबसे बड़े लीडर बन गए।

बाद में वो सोशलिस्ट पार्टी में शामिल हो गए जहां उनकी छवि विद्रोही नेता की बनती गई। 1967 के आम चुनाव में सदाशिव कानोजी पाटिल को हराकर जॉर्ज पहली बार लोकसभा पहुंचे। फिर 1974 में रेल हड़ताल कर पूरे देश में चक्का जाम कर दिया। आपातकाल के दौरान 10 जून 1976 को जॉर्ज गिरफ्तार किए गए।

ये भी पढ़ें: मायावती ‘न नर न नारी’ वो तो ’56 इंच के मर्द…

ये भी पढ़ें: बोलीं मायावती- काशीराम की चेली हूं, ‘जैसा को तैसा’ जवाब देना…

जॉर्ज फर्नांडिस को बड़ौदा डायनामाइट केस में भी आरोपी बनाया गया। तब जेल में रहते हुए जॉर्ज ने 1977 में बिहार के मुजफ्फरपुर से लोकसभा चुनाव जीता। 1977 में जॉर्ज ने सॉफ्ट ड्रिंक कंपनी कोका कोला का डब्बा बंद कर दिया। बाद में उन्होंने सोशलिस्ट पार्टी छोड़ी तो जनता पार्टी में गए और फिर उसे छोड़ा तो समता पार्टी का गठन किया।

9 बार लोकसभा चुनाव जीतने वाले जॉर्ज (George Fernandes) तीन बार उद्योग मंत्री, रेलमंत्री और रक्षामंत्री बने। जॉर्ज फर्नांडिस के रक्षा मंत्री रहते भारत ने दूसरी बार परमाणु परीक्षण किया। करगिल युद्ध में भारत ने जब पाक को धूल चलाई तो जॉर्ज फर्नांडिस ही रक्षा मंत्री थे। रक्षा मंत्री रहते जॉर्ज फर्नांडिस ने सियाचिन ग्लेशियर का 18 बार दौरा किया। वहीं, रेल मंत्री रहते जॉर्ज फर्नांडिस ने कोंकण रेलवे प्रोजेक्ट पूरा कराया।

विवादों से भी रहा नाता

हालांकि 9 भाषाओं और राजनीति में गजब की पकड़ रखनेवाले जॉर्ज फर्नांडिस का विवादों से भी लंबा नाता रहा। मोरारजी देसाई की सरकार गिराने के आरोप भी जॉर्ज फर्नांडिस पर लगे। बाद में बीमारी की वजह से पार्टी से दूर हुए और करीबी लोगों का साथ भी छूट गया।

वैसे तमाम विवादों के बाद भी जॉर्ज फर्नांडिस (George Fernandes) उस चैप्टर की तरह हैं…जिसके बिना भारत की सियासी किताब मुकम्मल नहीं होती।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.